इस हफ़्ते, मैं ढाई साल के बाद पहली बार मुम्बई से बाहर निकला। एअरपोर्ट में ज़्यादा लोगों के बीच में रहना मुझे थोड़ा मुश्किल लगा, मगर एक-दो बार यात्रा करने से यह भी दोबारा से आसान हो जाएगा।
दिल्ली में मेरे पास केवल एक सुबह थी। सात बजे की नाश्ते की बैठक से पहले मन किया कि लोधी उद्यान में अपने कैमरे के साथ चल कर चला जाऊँ।
पाँच बजे उठकर सुबह की सैर के लिए लोधी उद्यान एक बहुत ही खूबसूरत जगह है। बतख़ का तालाब, लाल बलुआ पत्थर के स्मारक, और हर तरफ़ हरियाली – यह सब दोबारा देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा।
मुझे केवल एक ही खिला रह गई – कि मैं ज़्यादा तस्वीरें नहीं ले पाया। मैं ख़ुद को कह रहा हूँ कि अब तो मैं दिल्ली हर महीने ही जाता रहूँगा। लोधी उद्यान में समय के साथ तस्वीर लेने का मौक़ा भी मिल ही जाएगा।
फ़िलहाल, मैं मुम्बई मे ही हर रोज़ सुबह पाँच बजे उठकर तस्वीर लेने के लिए बाहर जाने की आदत दोबारा डालना चाहता हूँ। मुझे बान्द्रा क़िले गये हुए अभी कई महीने हो गए हैं। इस सप्ताह, मैं वहाँ जाने की कोशिश ज़रूर करूँगा।








