मैं शहरों के उन्माद के भीतर छुपे हुए शांति के क्षणों की तस्वीरें लेता हूं


  • मुम्बई – बान्द्रा क़िला

    मुम्बई – बान्द्रा क़िला

    आज सुबह, मैं काफ़ी दिनों के बाद बांद्रा क़िले में तस्वीर लेने के लिए गया। मेरे पास एक साधारण सी पैनकेक लेन्स थी लेकिन कई तस्वीरें अच्छी मिल गईं।

    मैं जब भी मुम्बई में तस्वीर लेने की सोचता हूँ तो मुझे सबसे पहले बांद्रा-वर्ली सी लिंक का ही ख़्याल आता है। और बांद्रा-वर्ली सी लिंक की तस्वीर लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह बांद्रा क़िला ही है। पुराने खंडहरों और नई वास्तुकला को एक ही फ़्रेम में देखना कभी-कभी आश्चर्यजनक होता है।

    मैं कैमरा तो थैले में हमेशा रखता हूँ, मगर कभी-कभी तस्वीरों की खोज करना भूल जाता हूँ। मैं अब कोशिश करूँगा कि हर सप्ताह फ़ोटोग्राफ़ी करने का इरादा बनाकर कम-से-कम एक दिन बाहर निकलूँ। शायद सप्ताह में एक दिन तस्वीर लेने के इरादे से बाक़ी दिनों में भी तस्वीरें दिखाई देने लगें।

  • नई दिल्ली – लोधी उधान

    नई दिल्ली – लोधी उधान

    इस हफ़्ते, मैं ढाई साल के बाद पहली बार मुम्बई से बाहर निकला। एअरपोर्ट में ज़्यादा लोगों के बीच में रहना मुझे थोड़ा मुश्किल लगा, मगर एक-दो बार यात्रा करने से यह भी दोबारा से आसान हो जाएगा।

    दिल्ली में मेरे पास केवल एक सुबह थी। सात बजे की नाश्ते की बैठक से पहले मन किया कि लोधी उद्यान में अपने कैमरे के साथ चल कर चला जाऊँ। 

    पाँच बजे उठकर सुबह की सैर के लिए लोधी उद्यान एक बहुत ही खूबसूरत जगह है। बतख़ का तालाब, लाल बलुआ पत्थर के स्मारक, और हर तरफ़ हरियाली – यह सब दोबारा देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा।

    मुझे केवल एक ही खिला रह गई – कि मैं ज़्यादा तस्वीरें नहीं ले पाया। मैं ख़ुद को कह रहा हूँ कि अब तो मैं दिल्ली हर महीने ही जाता रहूँगा। लोधी उद्यान में समय के साथ तस्वीर लेने का मौक़ा भी मिल ही जाएगा।

    फ़िलहाल, मैं मुम्बई मे ही हर रोज़ सुबह पाँच बजे उठकर तस्वीर लेने के लिए बाहर जाने की आदत दोबारा डालना चाहता हूँ। मुझे बान्द्रा क़िले गये हुए अभी कई महीने हो गए हैं। इस सप्ताह, मैं वहाँ जाने की कोशिश ज़रूर करूँगा।